श्वेताश्वतरोपनिषद – shwetashwatar upanishad

श्वेताश्वतरोपनिषद - shwetashwatar upanishad

वेदों के पश्चात् उपनिषदों को ही महत्वपूर्ण ग्रन्थ कहा जाता है। उपनिषदों में श्वेताश्वतरोपनिषद का महत्वपूर्ण स्थान है। श्वेताश्वतरोपनिषद में कुल छः अध्याय हैं जिनमें आपको अनेकों वेदमंत्र भी देखने को मिलते हैं। यहां श्वेताश्वतरोपनिषद (shwetashwatar upanishad) संस्कृत में दिया गया है।

ॐ सहनाववतु । सह नौ भुनक्तु । सह वीर्यं करवावहै ।
तेजस्वि नावधीतमस्तु । मा विद्विषावहै ॥

॥ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥

प्रथम अध्याय

॥ प्रकाशन्ते महात्मन इति ॥

॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।


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