कर्मकांड सीखें

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हरि के भरोसे हांको गाड़ी - hari ke bharose hanko gadi

हरि के भरोसे हांको गाड़ी – hari ke bharose hanko gadi

एक प्यारा भजन है “सुनो रे प्यारे भाई हरि के भरोसे हांको गाड़ी (hari ke bharose hanko gadi)” किन्तु क्या आप जानते हैं कि इसके लिये भगवान व धर्म में अटल विश्वास होना अनिवार्य है ! नास्तिकों की तो बात ही क्या करें जिसका विश्वास अटल नहीं है उसके लिये भी भगवान पर विश्वास कर पाना असंभव है, भले ही इस भजन को आजीवन गुनगुनाता क्यों न रहे। दूसरा पहलू यह भी है यदि आपका विश्वास अटल है तो संसार आपके विश्वास को तोड़ने का अथक प्रयास करेगा और संसार के इस अथक प्रयास के पश्चात् भी आपका विश्वास न टले तो ही अटल संज्ञक सिद्ध होगा।

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असुरक्षित यौन संबंध : दोष और दुष्परिणाम - unprotected sex

असुरक्षित यौन संबंध : दोष और दुष्परिणाम – unprotected sex

असुरक्षित यौन संबंध : दोष और दुष्परिणाम – unprotected sex : सनातन का जागरण हो रहा है तो जागरण व उन्माद में अंतर भी समझना होगा। जो शास्त्र ज्ञान के बिना शास्त्र विरुद्ध आचरण करते हुये मात्र तीर्थों व मंदिरों में पर्यटन करने को सनातन का जागरण सिद्ध करते हैं वो पुनः भ्रमित कर रहे हैं। सनातन के जागरण का तात्पर्य है शास्त्र ज्ञान प्राप्त करते हुये आत्मकल्याण का मार्ग प्रशस्त करने का प्रयास पुनः आरंभ हो।

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कलिवर्ज्य प्रकरण : क्या आप जानते हैं कलयुग में क्या-क्या वर्जित है - kalivarjya

कलिवर्ज्य प्रकरण : क्या आप जानते हैं कलयुग में क्या-क्या वर्जित है – kalivarjya

कलिवर्ज्य प्रकरण : क्या आप जानते हैं कलयुग में क्या-क्या वर्जित है – kalivarjya : हम अनेकानेक ऐसे व्यवहार में भी लिप्त होते जो वास्तव में कलिवर्ज्य है किन्तु इसका हमें ज्ञान नहीं होता। हमें ऐसा प्रतीत होता है कि हम जो कर रहे हैं वह शास्त्रसम्मत है किन्तु वास्तव में वह कलिवर्ज्य होता है। धर्मानुरागियों के लिये यह संकलन बहुत ही उपयोगी है।

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ब्राह्मणवाद से भारत रसातल में कैसे चला गया, ब्राह्मणवाद अभिशाप क्यों बना ? what is brahmanwad

ब्राह्मणवाद से भारत रसातल में कैसे चला गया, ब्राह्मणवाद अभिशाप क्यों बना ? what is brahmanwad

ब्राह्मणवाद से भारत रसातल में कैसे चला गया, ब्राह्मणवाद अभिशाप क्यों बना ? what is brahmanwad : वामपंथियों/देशद्रोहियों की निर्लज्जता असीमित है और इसका प्रमाण यह है की ये भारतीय संस्कृति की निंदा करते हैं और विदेशी संस्कृति का प्रचार-प्रसार, ये भारतीय भाषा (हिन्दी-संस्कृत) का तो विरोध करते हैं किन्तु विदेशी भाषाओं (अंग्रेजी) के प्रचार-प्रसार में बढ़-चढ़कर भागीदार बनते हैं। इनको ब्राह्मण जो भारतीय संस्कृति, अर्थव्यवस्था, राजनीति आदि का केन्द्रबिन्दु है वह आतंकी लगता है और जो म्लेच्छ यत्र-तत्र-सर्वत्र पत्थरबाजी, बमबाजी, बलात्कार, हिंसा आदि ही करते रहते हैं वो शांतिदूत लगता है।

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आम की समिधा हवन में ग्राह्य या अग्राह्य - Amra samidha

आम की समिधा हवन में ग्राह्य या अग्राह्य – Amra samidha

आम की समिधा हवन में ग्राह्य या अग्राह्य – Amra samidha : हवन में आम की समिधा ग्राह्य है अथवा नहीं यह गंभीर प्रश्न है और इसका उत्तर कुछ विद्वान ग्राह्य बताते हैं तो कुछ विद्वान अग्राह्य बताते हैं।

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संसर्गाशौच व निवारण अर्थात संसर्गी शुद्धि विधान

संसर्गाशौच व निवारण अर्थात संसर्गी शुद्धि विधान

संसर्गाशौच व निवारण अर्थात संसर्गी शुद्धि विधान : अशौच प्रकरण में एक महत्वपूर्ण विषय है संसर्गाशौच विचार जिसकी चर्चा शेष है और यहां वही चर्चा प्रस्तुत है अर्थात यदि अशौची व्यक्ति से संसर्ग हो तो संसर्ग करने वाले की शुद्धि का विधान।

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व्रतोपवास में क्षौर कर्म विचार व निषेध - kshaur karma

व्रतोपवास में क्षौर कर्म विचार व निषेध – kshaur karma

व्रतोपवास में क्षौर कर्म विचार व निषेध – kshaur karma : सामान्य क्षौर विधान से अतिरिक्त भी कुछ विशेष विचार होता है यथा व्रत-उपवास-श्राद्धादि में क्षौर की आवश्यकता, यात्रा व अन्य कालों में क्षौर का निषेध जिसकी चर्चा इस आलेख में प्रस्तुत है

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क्षौर कर्म विचार - kshaur karma in hindi

क्षौर कर्म विचार – kshaur karma in hindi

क्षौर कर्म विचार – kshaur karma in hindi : क्षौर कर्म का तात्पर्य मात्र बढे हुये केशों से मुक्ति पाना नहीं होता अपितु सनातन में क्षौर कर्म के आचरण का भी विशेष विधान व नियम है जो शास्त्रों में वर्णित है।

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बुरा न मानो होली है ~ Bura na mano holi hai

बुरा न मानो होली है ~ Bura na mano holi hai

बुरा न मानो होली है ~ Bura na mano holi hai : होली भारत के एक प्रमुख पर्व है और हर्षोल्लास पूर्वक देशभर में यह मनाया जाता है। किन्तु भारत में भी एक विशेष वर्ग है जो विदेशी चश्मा पहनकर निर्लज्जता पूर्वक भारतीय संस्कृति, पर्व-त्योहारों पर भी आक्षेप-प्रक्षेप करता रहता है।

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पूजा विधि विधान - puja vidhi

पूजा विधि विधान – puja vidhi

पूजा विधि विधान – puja vidhi : सभी पूजा में पवित्रीकरण, दिग्बंधन, संकल्प, स्वस्तिवाचन, कलश स्थापन, प्रधान पूजा, अंग पूजा, हवन आदि ही किये जाते हैं। यदि अंतर की बात करें तो संकल्प में किञ्चित अंतर होता है एवं प्रधान पूजा व अंग पूजा के नाम मंत्रों में परिवर्तन होता है।

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