कर्मकांड सीखें

कर्मकांड सीखें

शास्त्रों में अस्पृश्यता और वैधानिक समाधान से अस्पृश्यता का अंत - asprishyata kya hai

शास्त्रों में अस्पृश्यता और वैधानिक समाधान से अस्पृश्यता का अंत – asprishyata kya hai

शास्त्रों में अस्पृश्यता और वैधानिक समाधान से अस्पृश्यता का अंत – asprishyata kya hai : अस्पृश्यता की यहां जो व्याख्या की गयी है वह उस अस्पृश्यता से भिन्न है जिसका संविधान निषेध करता है और राजनीतिक रूप से कही-समझी जाती है। जिस अस्पृश्यता को राजनीतिक रूप से अपराध कहा गया है वह शास्त्रोक्त रूप से भी निषिद्ध ही है। किन्तु शास्त्रों में अस्पृश्यता की जो व्याख्या है वह राजनीतिक अस्पृश्यता की परिधि से बाहर है, आध्यात्मिक जीवन का अंग है इसके कुछ अपवाद भी हो सकते हैं।

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आचमन विधान

आचमन विधि ज्ञान जांचे – Online Test Achaman vidhan

आचमन विधान ज्ञान जांचे – Online Test Achaman vidhan : प्रत्येक कर्मों में आचमन करने का एक विशेष विधान है। शास्त्रों में विभिन्न वर्णों के आधार पर भी आचमन का भिन्न-भिन्न विधान बताया गया है। कई स्थितियों में आचमन हेतु विकल्प का भी विधान है। आचमन की संख्या भी कर्म के अनुसार परिवर्तित होती रहती है। इसी प्रकार आचमन के विषय में अनेकों महत्वपूर्ण तथ्य हैं जिसे सभी कर्मकांडी को जानना आवश्यक होता है।

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शिखा विधान : शिखा का महत्व - shikha ka mahatva

शिखा विधान ज्ञान जांचे – Online Test Shikha vidhnam

शिखा विधान ज्ञान जांचे – Online Test Shikha vidhnam : यहां दिये गये ऑनलाइन टेस्ट (मॉक टेस्ट) में भाग लेकर शिखा विषयक ज्ञान की वृद्धि की जा सकती है। ऑनलाइन टेस्ट में भाग लेने से पूर्व नीचे दिये गये आलेखों का अध्ययन भी आवश्यक है अन्यथा प्रश्नों के उत्तर देने में त्रुटि हो सकती है।

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पवित्रीकरण संबंधी ज्ञान जांचे - Pavitrikaran Test

पवित्रीकरण संबंधी ज्ञान जांचे – Pavitrikaran Test

पवित्रीकरण संबंधी ज्ञान जांचे – Pavitrikaran Test : इस जांच प्रक्रिया में भाग लेकर आप पवित्रीकरण संबंधी ज्ञान की वृद्धि कर सकते हैं। ज्ञान जांचने की यह क्रिया बच्चों के लिये भी महत्वपूर्ण है। यदि आप अपने बच्चों को कर्मकांड की शिक्षा दे रहे हैं तो यहां पर उसकी जांच भी कर सकते हैं। जांच प्रक्रिया से सीखने में अधिक सहयोग प्राप्त होगा।

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बिना पंडित के स्वयं पूजा, अनुष्ठान विधि, हवन आदि करना कैसे सीखें - bina pandit ke karmkand

बिना पंडित के स्वयं पूजा, अनुष्ठान विधि, हवन करना कैसे सीखें – bina pandit ke karmkand

बिना पंडित के स्वयं पूजा, अनुष्ठान विधि, हवन करना कैसे सीखें – bina pandit ke karmkand : शास्त्रोक्त विधि के अनुसार सभी कर्मों में (नित्यकर्म को छोड़कर) ब्राह्मण (कर्मकांडी) की आवश्यकता होती ही है। उपदेश (आज्ञा) देने से लेकर दान-दक्षिणा-भोजन ग्रहण करने के लिये और सम्पूर्णता का वचन देने के लिये कर्मकांडी ब्राह्मण अनिवार्य होते हैं और यही शास्त्रों में बताया गया है। यदि कोई शास्त्रोक्त कर्म बिना पंडित (ब्राह्मण-कर्मकांडी) के करते हैं तो वह शास्त्र विधि से रहित होता है और वह कल्याणकारी तो कदापि नहीं होता किन्तु शस्त्रोलन्घन का दोष प्रदान करने वाला होता है।

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यदि आपको कर्मकांडी बनना है तो इन्हें अच्छी तरह से समझें : रस्म रिवाज परम्परा प्रथा और विधि विधान

यदि आपको कर्मकांडी बनना है तो इन्हें अच्छी तरह से समझें : रस्म रिवाज परम्परा प्रथा और विधि विधान

यदि आपको कर्मकांडी बनना है तो इन्हें अच्छी तरह से समझें : रस्म रिवाज परम्परा प्रथा और विधि विधान : इस आलेख में शब्द का महत्व स्पष्ट करते हुये यह बताया गया है कि रीति-परंपरा-प्रथा-विधि-विधान आदि शब्दों के स्थान पर रस्म-रिवाज़ जैसे शब्दों का प्रयोग करना उचित नहीं है, इसी प्रकार से विवाह के लिये शादी-मैरिज आदि शब्दों का प्रयोग करना भी अनुचित है। इसके साथ ही परम्परा और विधान के संबंध में उदाहरण सहित विस्तृत चर्चा की गयी है एवं परम्परा और विधान के अंतर को गंभीरता से समझने के लिये दोनों के पर्याप्त उदाहरण भी प्रस्तुत किये गये हैं।

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क्या कर्मकांडी का ब्राह्मण कुल में जन्म लेना अनिवार्य है ? ब्राह्मण जन्म से या कर्म से - brahman janm se ya karm se

क्या कर्मकांडी का ब्राह्मण कुल में जन्म लेना अनिवार्य है ? ब्राह्मण जन्म से या कर्म से – brahman janm se ya karm se

क्या कर्मकांडी का ब्राह्मण कुल में जन्म लेना अनिवार्य है ? ब्राह्मण जन्म से या कर्म से – brahman janm se ya karm se : वर्ण का निर्धारण जन्म से ही होता है, कर्म से नहीं अपितु कर्म का निर्धारण वर्ण से होता है और इसीलिये ब्राह्मण के कर्म, क्षत्रिय के कर्म आदि कहे गये हैं। कुछ लोग कर्म से वर्ण का कुतर्क रचते हैं जो कि भयावह है। जन्म से जितने गुण-तेज-दिव्यता की प्राप्ति होती है उसका मात्र आधा ही अर्जित किया जा सकता है। इस प्रकार एक कर्मकांडी के लिये यह आवश्यक है कि वह जन्म से ब्राह्मण हो।

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इन पांच सूत्रों से कर्मकांड सीखें - 5 sutro se karmkand sikhe

इन पांच सूत्रों से कर्मकांड सीखें – 5 sutro se karmkand sikhe

इन पांच सूत्रों से कर्मकांड सीखें – 5 sutro se karmkand sikhe : योग्यता-कुशलता का तात्पर्य यह भी नहीं होता कि पुस्तकों को पढ़ लेने मात्र प्राप्त हो जाती है यदि ऐसा हो तो सबके घर में पुस्तकालय हो, विद्यालय/महाविद्यालय/विश्वविद्यालय मात्र परीक्षा लेने के लिये ही हो। कर्मकांड सीखने के लिये प्रशिक्षण, नित्यकर्म, अध्ययन, स्मरण, विश्वास आदि मुख्य सूत्र हैं और इन पंचसूत्रों के द्वारा कुशल कर्मकांडी बना जा सकता है।

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सनातन धर्म में नित्यकर्म: एक विस्तृत अध्ययन | आवश्यकता या अनिवार्यता - Nitya Karma in Hindi

सनातन धर्म में नित्यकर्म: एक विस्तृत अध्ययन | आवश्यकता या अनिवार्यता – Nitya Karma in Hindi

सनातन धर्म में नित्यकर्म: एक विस्तृत अध्ययन | आवश्यकता या अनिवार्यता – Nitya Karma in Hindi – आवश्यकता यह है कि क्या हम वर्त्तमान में भी परतंत्र हैं और यदि परतंत्र हैं तो स्वतंत्र होने का प्रयास करना चाहिये। यदि स्वतंत्र हो गए हैं तो अपने धर्म-कर्म का पालन करना आरम्भ करना चाहिये। नित्यकर्म को आवश्यक नहीं अनिवार्य समझना चाहिये और स्वयं भी सीखकर प्रारम्भ करना चाहिये, आत्मकल्याण का प्रयास करना चाहिये।

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शाखारण्ड : एक महत्वपूर्ण विश्लेषण

शाखारण्ड : एक महत्वपूर्ण विश्लेषण – Shakharand

शाखारण्ड : एक महत्वपूर्ण विश्लेषण – Shakharand : शाखारण्ड दोष का तात्पर्य भी पतित होना है, शाखारण्ड हव्य-कव्य में अनधिकृत हो जाता है, और यदि उपनयन करके भी शाखारण्ड ही बनाना हो तो उस उपनयन का कोई महत्व नहीं है। व्रात्य की तुलना में शाखारण्ड दोष का मार्जन सरल है अंतर मात्र यही है।

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