आम की समिधा हवन में ग्राह्य या अग्राह्य - Amra samidha

आम की समिधा हवन में ग्राह्य या अग्राह्य – Amra samidha

आम की समिधा हवन में ग्राह्य या अग्राह्य – Amra samidha : हवन में आम की समिधा ग्राह्य है अथवा नहीं यह गंभीर प्रश्न है और इसका उत्तर कुछ विद्वान ग्राह्य बताते हैं तो कुछ विद्वान अग्राह्य बताते हैं।

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संसर्गाशौच व निवारण अर्थात संसर्गी शुद्धि विधान

संसर्गाशौच व निवारण अर्थात संसर्गी शुद्धि विधान

संसर्गाशौच व निवारण अर्थात संसर्गी शुद्धि विधान : अशौच प्रकरण में एक महत्वपूर्ण विषय है संसर्गाशौच विचार जिसकी चर्चा शेष है और यहां वही चर्चा प्रस्तुत है अर्थात यदि अशौची व्यक्ति से संसर्ग हो तो संसर्ग करने वाले की शुद्धि का विधान।

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क्या सनातन सिद्धांतों को विज्ञान द्वारा प्रमाणित होना अनिवार्य है - Dharm aur Vaigyanita

क्या सनातन सिद्धांतों को विज्ञान द्वारा प्रमाणित होना अनिवार्य है – Dharm aur Vaigyanita

क्या सनातन सिद्धांतों को विज्ञान द्वारा प्रमाणित होना अनिवार्य है – Dharm aur Vaigyanita : धर्म और अध्यात्म की सीमा का आरम्भ ही वहां से होता है जहां विज्ञान की सीमा समाप्त हो जाती है और विज्ञान की कसौटी पर धार्मिक सिद्धांतों को कसने का प्रयास करना एक कुकृत्य ही है।

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अंधविश्वास किसे कहते हैं उदाहरण सहित जाने और समझें ~ andhvishwas kya hai

अंधविश्वास किसे कहते हैं उदाहरण सहित जाने और समझें ~ andhvishwas kya hai

अंधविश्वास किसे कहते हैं उदाहरण सहित जाने और समझें ~ andhvishwas kya hai : शास्त्रों में श्रुति (वेद) और स्मृति को नेत्र कहा गया है और इस नेत्र से विहीन व्यक्ति को अंधा कहा गया है। इस प्रकार इन श्रुति-स्मृति का जिसे ज्ञान न हो उस अंधे के कथन पर विश्वास करना अंधविश्वास होता है।

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इन पांच सूत्रों से कर्मकांड सीखें - 5 sutro se karmkand sikhe

इन पांच सूत्रों से कर्मकांड सीखें – 5 sutro se karmkand sikhe

इन पांच सूत्रों से कर्मकांड सीखें – 5 sutro se karmkand sikhe : योग्यता-कुशलता का तात्पर्य यह भी नहीं होता कि पुस्तकों को पढ़ लेने मात्र प्राप्त हो जाती है यदि ऐसा हो तो सबके घर में पुस्तकालय हो, विद्यालय/महाविद्यालय/विश्वविद्यालय मात्र परीक्षा लेने के लिये ही हो। कर्मकांड सीखने के लिये प्रशिक्षण, नित्यकर्म, अध्ययन, स्मरण, विश्वास आदि मुख्य सूत्र हैं और इन पंचसूत्रों के द्वारा कुशल कर्मकांडी बना जा सकता है।

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सनातन धर्म में नित्यकर्म: एक विस्तृत अध्ययन | आवश्यकता या अनिवार्यता - Nitya Karma in Hindi

सनातन धर्म में नित्यकर्म: एक विस्तृत अध्ययन | आवश्यकता या अनिवार्यता – Nitya Karma in Hindi

सनातन धर्म में नित्यकर्म: एक विस्तृत अध्ययन | आवश्यकता या अनिवार्यता – Nitya Karma in Hindi – आवश्यकता यह है कि क्या हम वर्त्तमान में भी परतंत्र हैं और यदि परतंत्र हैं तो स्वतंत्र होने का प्रयास करना चाहिये। यदि स्वतंत्र हो गए हैं तो अपने धर्म-कर्म का पालन करना आरम्भ करना चाहिये। नित्यकर्म को आवश्यक नहीं अनिवार्य समझना चाहिये और स्वयं भी सीखकर प्रारम्भ करना चाहिये, आत्मकल्याण का प्रयास करना चाहिये।

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शाखारण्ड : एक महत्वपूर्ण विश्लेषण

शाखारण्ड : एक महत्वपूर्ण विश्लेषण – Shakharand

शाखारण्ड : एक महत्वपूर्ण विश्लेषण – Shakharand : शाखारण्ड दोष का तात्पर्य भी पतित होना है, शाखारण्ड हव्य-कव्य में अनधिकृत हो जाता है, और यदि उपनयन करके भी शाखारण्ड ही बनाना हो तो उस उपनयन का कोई महत्व नहीं है। व्रात्य की तुलना में शाखारण्ड दोष का मार्जन सरल है अंतर मात्र यही है।

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कर्मकांड में पत्नी की आवश्यकता

कर्मकांड में पत्नी की आवश्यकता – karmkand me patni

कर्मकांड में पत्नी की आवश्यकता – karmkand me patni : यहां हम सभी कर्मों में पत्नी के आवश्यकता शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ समझेंगे। यह आलेख मात्र यह नहीं बताता है कि पत्नी कब किस दिशा में हो अपितु यह भी बताता है कि सभी कर्मों में पत्नी आवश्यक होती है, और जिस कर्म में सपत्नीक न हो उस कर्म में विकल्प प्रयोग किया जाता है।

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शिखा विधान : शिखा का महत्व - shikha ka mahatva

शिखा विधान : शिखा का महत्व – shikha ka mahatva

शिखा विधान : शिखा का महत्व – shikha ka mahatva – वर्त्तमान के कुछ दशकों में धर्मनिरपेक्षता रूपी राजनीतिक षड्यंत्र के द्वारा धर्म की अपार क्षति की गयी है और शिखा धारण करना पुरानी सोच सिद्ध कर दिया गया, आधुनिकता की पहचान शिखाहीन होना सिद्ध कर दिया गया। तथापि शनैः शनैः जागरूकता की भी वृद्धि हो रहा है और षड्यंत्र को समझते हुये पुनः शिखा आदि के प्रति जागरूकता में वृद्धि भी देखी जा रही है।

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