पाप के प्रकार – types of sins
पाप के प्रकार – types of sins : कल्याण प्राप्ति के लिये यह आवश्यक है कि पापों से बचें और पापों से बचने के लिये पाप का ज्ञान होना आवश्यक है। इस प्रकरण में हम पाप के प्रकार (types of sins) को समझेंगे।
पाप के प्रकार – types of sins : कल्याण प्राप्ति के लिये यह आवश्यक है कि पापों से बचें और पापों से बचने के लिये पाप का ज्ञान होना आवश्यक है। इस प्रकरण में हम पाप के प्रकार (types of sins) को समझेंगे।
शास्त्रों के अनुसार पाप का फल – hinduism punishment for sin : दुनियां में जो अशांति, उपद्रव आदि हैं उसका कारण यही है कि यह डर नहीं है। पाप का डर आपको उन कुकर्मों से भी रोकती है जिससे विश्व की व्यवस्था, मानवीयता को कोई भय हो।
बच के रहो; पाप नरक का आरक्षण है – Reservation of Hell – हमें पाप और नरकों के बारे में ज्ञान होना आवश्यक है जो हमें पापकर्म में संलिप्त होने से बचाता है।
ब्राह्मणत्व नाशक : प्रतिग्रह, भोजन और अविवेकपूर्ण विवाह के दुष्परिणाम – Brahmanatwa : ब्राह्मण आत्मकल्याण प्राप्ति में सबसे ऊपर जन्मना होता है। जो सबसे ऊपर हो उसके पतन का और पतन होने पर अधिक चोटिल होने की संभावना भी अधिक होती है और इसलिये ब्राहणों के लिये शास्त्रों में अधिक कठोर नियम बताये गये हैं जिनका पालन करना सरल नहीं होता।
गुरु दीक्षा का महत्व – Diksha : यह लेख दीक्षा को एक गूढ़ आध्यात्मिक प्रक्रिया के रूप में प्रस्तुत करता है, जिसमें गुरु अपनी शक्ति और ईश्वरीय अनुग्रह से शिष्य के सीमित भाव को मिटाकर उसे उसके अनंत, शुद्ध शिवस्वरूप का बोध कराते हैं।
साधना कैसे करें? जानें सफलता और आत्मज्ञान का रहस्य – Sadhana : इस प्रकार भारत भूमि में जन्म लेने वाला मनुष्य यदि आध्यात्मिक पथ पर अग्रसर न हो तो उससे अधम अन्य कोई नहीं हो सकता। आध्यात्मिक उन्नति के लिये साधना को समझना अनिवार्य है और इस आलेख में साधना की व्यापक चर्चा की गयी है जो साधकों के लिये लाभप्रद है।
उच्चारण दोष जिससे कर्मकांड बन जाए अभिशाप : Ghatak Karmkand : इस आलेख में विस्तृत चर्चा न करके एक पक्ष “कर्मकांड में उच्चारण दोष व उसके दुष्परिणाम” को पौराणिक कथानकों व प्रमाणों के माध्यम से समझने का प्रयास करेंगे।
पति-पत्नी का जीवन और अविच्छेद्य संबंध – Husband Wife Relationship : पति-पत्नी का संबंध भारतीय संस्कृति में कैसा होता है यह हमें शास्त्रों से ज्ञात होता है और सर्वप्रथम इसे समझने का प्रयास करते हैं।
दान: हेतु, अधिष्ठान, अंग, परिणाम, प्रकार, भेद, नाश – Donation Guide : दान के विषय में अनेकों तथ्य हैं जिनको जानना व समझना आवश्यक है, जिससे दान का उचित फल प्राप्त हो सके। यहां दान के हेतु, अधिष्ठान, अंग, प्रकार, भेद और विनाश तक, सभी पहलुओं को बड़े ही सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया है।
एक प्यारा भजन है “सुनो रे प्यारे भाई हरि के भरोसे हांको गाड़ी (hari ke bharose hanko gadi)” किन्तु क्या आप जानते हैं कि इसके लिये भगवान व धर्म में अटल विश्वास होना अनिवार्य है ! नास्तिकों की तो बात ही क्या करें जिसका विश्वास अटल नहीं है उसके लिये भी भगवान पर विश्वास कर पाना असंभव है, भले ही इस भजन को आजीवन गुनगुनाता क्यों न रहे। दूसरा पहलू यह भी है यदि आपका विश्वास अटल है तो संसार आपके विश्वास को तोड़ने का अथक प्रयास करेगा और संसार के इस अथक प्रयास के पश्चात् भी आपका विश्वास न टले तो ही अटल संज्ञक सिद्ध होगा।