संसर्गाशौच व निवारण अर्थात संसर्गी शुद्धि विधान

संसर्गाशौच व निवारण अर्थात संसर्गी शुद्धि विधान

संसर्गाशौच व निवारण अर्थात संसर्गी शुद्धि विधान : अशौच प्रकरण में एक महत्वपूर्ण विषय है संसर्गाशौच विचार जिसकी चर्चा शेष है और यहां वही चर्चा प्रस्तुत है अर्थात यदि अशौची व्यक्ति से संसर्ग हो तो संसर्ग करने वाले की शुद्धि का विधान।

Read More
पवित्रीकरण संबंधी ज्ञान जांचे - Pavitrikaran Test

पवित्रीकरण संबंधी ज्ञान जांचे – Pavitrikaran Test

पवित्रीकरण संबंधी ज्ञान जांचे – Pavitrikaran Test : इस जांच प्रक्रिया में भाग लेकर आप पवित्रीकरण संबंधी ज्ञान की वृद्धि कर सकते हैं। ज्ञान जांचने की यह क्रिया बच्चों के लिये भी महत्वपूर्ण है। यदि आप अपने बच्चों को कर्मकांड की शिक्षा दे रहे हैं तो यहां पर उसकी जांच भी कर सकते हैं। जांच प्रक्रिया से सीखने में अधिक सहयोग प्राप्त होगा।

Read More
शाखारण्ड : एक महत्वपूर्ण विश्लेषण

शाखारण्ड : एक महत्वपूर्ण विश्लेषण – Shakharand

शाखारण्ड : एक महत्वपूर्ण विश्लेषण – Shakharand : शाखारण्ड दोष का तात्पर्य भी पतित होना है, शाखारण्ड हव्य-कव्य में अनधिकृत हो जाता है, और यदि उपनयन करके भी शाखारण्ड ही बनाना हो तो उस उपनयन का कोई महत्व नहीं है। व्रात्य की तुलना में शाखारण्ड दोष का मार्जन सरल है अंतर मात्र यही है।

Read More
शिखा विधान : शिखा का महत्व - shikha ka mahatva

शिखा विधान : शिखा का महत्व – shikha ka mahatva

शिखा विधान : शिखा का महत्व – shikha ka mahatva – वर्त्तमान के कुछ दशकों में धर्मनिरपेक्षता रूपी राजनीतिक षड्यंत्र के द्वारा धर्म की अपार क्षति की गयी है और शिखा धारण करना पुरानी सोच सिद्ध कर दिया गया, आधुनिकता की पहचान शिखाहीन होना सिद्ध कर दिया गया। तथापि शनैः शनैः जागरूकता की भी वृद्धि हो रहा है और षड्यंत्र को समझते हुये पुनः शिखा आदि के प्रति जागरूकता में वृद्धि भी देखी जा रही है।

Read More
आसन सर्वस्व अर्थात सप्रमाण आसन संबंधी विस्तृत विमर्श - Asan Gyan

आसन सर्वस्व अर्थात सप्रमाण आसन संबंधी विस्तृत विमर्श – Asan Gyan No. 1

आसन सर्वस्व अर्थात सप्रमाण आसन संबंधी विस्तृत विमर्श – Aasan Gyan : कर्मकांड में आसन का यह भाव भी ग्रहण किया जाता है कि किस प्रकार से बैठे, किन्तु मुख्य भाव जिस पर बैठते हैं उससे ग्रहण किया जाता है। बिना आसन के कर्मकांड में कुछ ही कर्म होते हैं जिसका उल्लेख उन कर्मों में अंकित रहता है जैसे बड़ी प्रतिमाओं की पूजा जो बैठकर नहीं की जा सकती। आसन कर्मकांड में विशेष महत्वपूर्ण विषय है और इसके बारे में विस्तृत जानकारी प्रत्येक कर्मकांडी को रखनी चाहिये।

Read More
शुद्धि विधान : दाह, मार्जन, प्रक्षालन, प्रोक्षण इत्यादि

शुद्धि विधान : दाह, मार्जन, प्रक्षालन, प्रोक्षण …. Shuddhi Vidhan

शुद्धि विधान : दाह, मार्जन, प्रक्षालन, प्रोक्षण …. Shuddhi Vidhan – ऊर्ण, रुई आदि यथा स्वेटर, कम्बल, रजाई, गद्दा आदि की शुद्धि प्रोक्षण मात्र से ही होती है। यदि अधिक दोष हो तो धूप में तपाने से प्रोक्षण करके शुद्धि होती है। वेणूपस्कर (बांस के पात्र), शण की वस्तुयें, फल, चर्म की ग्राह्य वस्तुयें यथा आसन, तृण, काष्ठ रज्जु आदि अभ्युक्षण के द्वारा शुद्ध होते हैं। स्पर्श शुद्धि का विधान है।

Read More