भोजन निर्माण व परिवेषण स्त्री धर्म | stri dharm - 9

भोजन निर्माण व परिवेषण स्त्री धर्म | stri dharm – 9

भोजन निर्माण व परिवेषण स्त्री धर्म | stri dharm : भोजन निर्माण पत्नी का स्त्री धर्म है और भोजन कराना (परोसना) भी, यहां इसकी सप्रमाण चर्चा की गयी है जो अपनी संस्कृति में आस्था रखने वाली स्त्रियों/बच्चियों के लिये बहुत ही महत्वपूर्ण है।

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स्त्री धर्म को समझें अतिथि सेवा का महत्व | stri dharm - 8

स्त्री धर्म को समझें अतिथि सेवा का महत्व | stri dharm – 8

स्त्री धर्म को समझें अतिथि सेवा का महत्व | stri dharm : जो नारी ब्राह्मण, निर्धन, अन्ध, पंगु और दीनजनों की सेवा करती है, वही पतिव्रता कहलाती है अर्थात यहां परपुरुष विषय प्रभावी नहीं होता और पातिव्रत्य सुरक्षित रहता है। इनकी सेवा-सत्कार में परपुरुष संबंधी विचार नहीं करना चाहिये।

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स्त्री धर्म को समझें गृह व्यवस्था व अतिथि सत्कार | stri dharm - 7

स्त्री धर्म को समझें गृह व्यवस्था व अतिथि सत्कार | stri dharm – 7

स्त्री धर्म को समझें गृह व्यवस्था व अतिथि सत्कार | stri dharm – 7 : कितनी बड़ी बात है कि परिवार में बजट तक का प्रावधान मिलता है और वित्तीय कार्य पूर्णतः पत्नी के अधिकार क्षेत्र में सिद्ध होता है। यहां मनुस्मृति में नारी के साथ कैसा अत्याचार है। ये विचारणीय विषय है कि मनुस्मृति को नारी विरोधी कहा जाता है और ऐसे विषयों की कोई चर्चा नहीं होती।

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स्त्री धर्म को समझें स्नान शृंगार विधान | stri dharm - 5

स्त्री धर्म को समझें स्नान शृंगार विधान | stri dharm – 5

स्त्री धर्म को समझें स्नान शृंगार विधान | stri dharm – 5 : स्नान-शृंगार आदि का विधान जो स्त्रियों के लिये वर्णित है उसकी चर्चा यहां कर रहे हैं और यह आशा करते हैं कि टेस्ट ड्राइव करने वाली, मुंह मारने वाली वेश्याओं को भी ऑंखें खोलने वाली होगी।

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शौचांतर विधि एवं गोसेवा

स्त्री धर्म को समझें शौचांतर विधि एवं गोसेवा | stri dharm – 4

शौचांतर विधि एवं गोसेवा : चाहे जितना जोर लगा लो , चाहे जितना शोर मचा लो , नहीं झुकेगी नारी हिंदुस्तानी
पातिव्रत्य को धर्म समझे, सदाचार के मर्म को जाने, वही है नारी हिंदुस्तानी।

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स्त्री धर्म को समझें शौच विधान | stri dharm - 3

स्त्री धर्म को समझें शौच विधान | stri dharm – 3

स्त्री धर्म को समझें शौच विधान | stri dharm – 3 : वर्त्तमान समय में कलयुग का ऐसा प्रभाव छा रहा है कि सभी स्वधर्म का परित्याग करके समानता-समानता चिल्ला रहे हैं, स्वेच्छाचारी बनकर स्वतंत्रता-स्वतंत्रता चिल्ला रहे हैं, धर्म का त्याग करके संविधान-संविधान, सदाचार-कुलीनता आदि का त्याग करके शिक्षा-शिक्षा चिल्ला रहे हैं।

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stri dharm - स्त्री धर्म को समझें भाग - २

stri dharm – स्त्री धर्म को समझें भाग – २

stri dharm – स्त्री धर्म को समझें भाग – २ : वो अवश्य ही सोचनीय हैं जो गृह संचालन तो नहीं करती देश को संचालित करके अहंकार पालती हैं और यहां गीता के वचन “स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः” का स्मरण करते हुये विचार करना होगा कि स्त्री यदि स्वधर्म का त्याग कर रही है तो उसका दुष्परिणाम क्या होगा ?

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शास्त्र के प्रमाणों से समझें स्त्री धर्म क्या है - stri dharm niti

शास्त्र के प्रमाणों से समझें स्त्री धर्म क्या है – stri dharm niti

शास्त्र के प्रमाणों से समझें स्त्री धर्म क्या है – stri dharm niti : स्त्री धर्म से संबंधित इस प्रथम भाग में स्त्रीधर्म का आरम्भ कब से होता है इसको समझते हुये स्त्रियों के जगने व धान्यसंस्कार, गृहशुद्धि आदि विषयों को समझने का प्रयास किया गया है। इसके आगे के अन्य और भी विषय हैं जो स्त्री धर्म भाग २ में समझेंगे।

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