
सोने की चोरी के समान पातक – sone ki chori
सोने की चोरी के समान पातक – sone ki chori : स्वर्णस्तेय के समान पाप कहने का तात्पर्य है कि वो पाप जो स्वर्णस्तेय के समान ही है भले ही उसका महापाप में वर्णन मिले अथवा न मिले किन्तु उसे महापाप ही जानना चाहिये। यहां हम स्वर्णस्तेय सम पापों को समझने का प्रयास करेंगे।