
शाखारण्ड : एक महत्वपूर्ण विश्लेषण – Shakharand
शाखारण्ड : एक महत्वपूर्ण विश्लेषण – Shakharand : शाखारण्ड दोष का तात्पर्य भी पतित होना है, शाखारण्ड हव्य-कव्य में अनधिकृत हो जाता है, और यदि उपनयन करके भी शाखारण्ड ही बनाना हो तो उस उपनयन का कोई महत्व नहीं है। व्रात्य की तुलना में शाखारण्ड दोष का मार्जन सरल है अंतर मात्र यही है।