वर्त्तमान युग : भारतीय संस्कृति का आपत्काल – apatkal in india
वर्त्तमान युग : भारतीय संस्कृति का आपत्काल – apatkal in india – निष्कर्ष
वर्तमान भारत में सांस्कृतिक आपात्काल केवल बाहर से थोपा गया नहीं है, बल्कि यह हमारे भीतर की वैचारिक शून्यता का भी परिणाम है। राजनीति और न्यायपालिका जब समाज के नैतिक मार्गदर्शक बनने की कोशिश करते हैं, तो विसंगतियां उत्पन्न होना स्वाभाविक है।