
शुद्धि विधान : दाह, मार्जन, प्रक्षालन, प्रोक्षण …. Shuddhi Vidhan
शुद्धि विधान : दाह, मार्जन, प्रक्षालन, प्रोक्षण …. Shuddhi Vidhan – ऊर्ण, रुई आदि यथा स्वेटर, कम्बल, रजाई, गद्दा आदि की शुद्धि प्रोक्षण मात्र से ही होती है। यदि अधिक दोष हो तो धूप में तपाने से प्रोक्षण करके शुद्धि होती है। वेणूपस्कर (बांस के पात्र), शण की वस्तुयें, फल, चर्म की ग्राह्य वस्तुयें यथा आसन, तृण, काष्ठ रज्जु आदि अभ्युक्षण के द्वारा शुद्ध होते हैं। स्पर्श शुद्धि का विधान है।