
आसन सर्वस्व अर्थात सप्रमाण आसन संबंधी विस्तृत विमर्श – Asan Gyan No. 1
आसन सर्वस्व अर्थात सप्रमाण आसन संबंधी विस्तृत विमर्श – Aasan Gyan : कर्मकांड में आसन का यह भाव भी ग्रहण किया जाता है कि किस प्रकार से बैठे, किन्तु मुख्य भाव जिस पर बैठते हैं उससे ग्रहण किया जाता है। बिना आसन के कर्मकांड में कुछ ही कर्म होते हैं जिसका उल्लेख उन कर्मों में अंकित रहता है जैसे बड़ी प्रतिमाओं की पूजा जो बैठकर नहीं की जा सकती। आसन कर्मकांड में विशेष महत्वपूर्ण विषय है और इसके बारे में विस्तृत जानकारी प्रत्येक कर्मकांडी को रखनी चाहिये।