आसन सर्वस्व अर्थात सप्रमाण आसन संबंधी विस्तृत विमर्श - Asan Gyan

आसन सर्वस्व अर्थात सप्रमाण आसन संबंधी विस्तृत विमर्श – Asan Gyan No. 1

आसन सर्वस्व अर्थात सप्रमाण आसन संबंधी विस्तृत विमर्श – Aasan Gyan : कर्मकांड में आसन का यह भाव भी ग्रहण किया जाता है कि किस प्रकार से बैठे, किन्तु मुख्य भाव जिस पर बैठते हैं उससे ग्रहण किया जाता है। बिना आसन के कर्मकांड में कुछ ही कर्म होते हैं जिसका उल्लेख उन कर्मों में अंकित रहता है जैसे बड़ी प्रतिमाओं की पूजा जो बैठकर नहीं की जा सकती। आसन कर्मकांड में विशेष महत्वपूर्ण विषय है और इसके बारे में विस्तृत जानकारी प्रत्येक कर्मकांडी को रखनी चाहिये।

Read More
शुद्धि विधान : दाह, मार्जन, प्रक्षालन, प्रोक्षण इत्यादि

शुद्धि विधान : दाह, मार्जन, प्रक्षालन, प्रोक्षण …. Shuddhi Vidhan

शुद्धि विधान : दाह, मार्जन, प्रक्षालन, प्रोक्षण …. Shuddhi Vidhan – ऊर्ण, रुई आदि यथा स्वेटर, कम्बल, रजाई, गद्दा आदि की शुद्धि प्रोक्षण मात्र से ही होती है। यदि अधिक दोष हो तो धूप में तपाने से प्रोक्षण करके शुद्धि होती है। वेणूपस्कर (बांस के पात्र), शण की वस्तुयें, फल, चर्म की ग्राह्य वस्तुयें यथा आसन, तृण, काष्ठ रज्जु आदि अभ्युक्षण के द्वारा शुद्ध होते हैं। स्पर्श शुद्धि का विधान है।

Read More
प्रोक्षण, अभ्युक्षण और वोक्षण तीनों प्रकार को समझें - Sikta karana

शुद्धिकरण : प्रोक्षण, अभ्युक्षण और वोक्षण तीनों प्रकार को समझें – 3 Sikta karana

शुद्धिकरण : प्रोक्षण, अभ्युक्षण और वोक्षण तीनों प्रकार को समझें – Sikta karana : पवित्रीकरण में जल से सिक्त करने का विशेष महत्व होता है। किन्तु इस तथ्य को पुनः ध्यान में रखना आवश्यक है कि सिक्त सभी वस्तुओं को करना होता है किन्तु उसका तात्पर्य पवित्रीकरण होता है। शुद्धिकरण की जो सामान्य अन्य विधियां भस्म, अम्ल, जलादि द्वारा मार्जन करने की होती है मार्जनीय वस्तु का मार्जन अनिवार्य होता है।

Read More